सोशल मीडिया जो आज काफी हद तक हमारे दिमाग पर हावी हो चूका है। हम जो कुछ सोचते हैं या किसी विषय के बारे में बात करते हैं वह बहुत हद तक सोशल मीडिया से प्रभावित होता है। हम सोशल मीडिया पर दिखाई गई सभी तथ्यों, आंकड़ो को सही भी मानते है।
हमारी खुद की सोच लगभग विलुप्त हो चुकी है। आज सोशल मीडिया पर जो मुद्दे हैं वही हमें देश के सबसे बड़े मुद्दे लगते हैं जैसे राम मंदिर, नोटबंदी, नई कर व्यवस्था और ना जाने क्या-क्या।
लेकिन वास्तविक तौर पर गरीबी, महंगाई, रोजगार, जनसंख्या, प्रदूषण जैसी समस्याएं ही बड़ी समस्याएं है। सिर्फ 2 दिन सोशल मीडिया से दूर रह कर देखिय आपको अहसास होगा कि नोटबंदी, राम मंदिर, कश्मीर, धार्मिक मुद्दे देश में इतने भी सक्रिय नहीं है जितने सोशल मीडिया में बना दिए हैं।
और तो और हमारे सामने सभी तथ्य इस प्रकार रख दिए जाते हैं कि सोशल मीडिया में, हमें उन पर यकीन करना ही पड़ता है। सोशल मीडिया हमारे लिए अलग ही धारणाएं बना देता है, इसलिए जरूरी है कि हम अपनी सोच का इस्तेमाल करें और उन्हें ही खबरों पर ध्यान दें जो पुख्ता तथ्य द्वारा साबित हो।
कभी कुछ टाइम के लिए "मोबाइल डेटा" या " वाई-फाई" ऑफ करके देखीये, शुकून मिलेगा।
धन्यवाद
हमारी खुद की सोच लगभग विलुप्त हो चुकी है। आज सोशल मीडिया पर जो मुद्दे हैं वही हमें देश के सबसे बड़े मुद्दे लगते हैं जैसे राम मंदिर, नोटबंदी, नई कर व्यवस्था और ना जाने क्या-क्या।
लेकिन वास्तविक तौर पर गरीबी, महंगाई, रोजगार, जनसंख्या, प्रदूषण जैसी समस्याएं ही बड़ी समस्याएं है। सिर्फ 2 दिन सोशल मीडिया से दूर रह कर देखिय आपको अहसास होगा कि नोटबंदी, राम मंदिर, कश्मीर, धार्मिक मुद्दे देश में इतने भी सक्रिय नहीं है जितने सोशल मीडिया में बना दिए हैं।
और तो और हमारे सामने सभी तथ्य इस प्रकार रख दिए जाते हैं कि सोशल मीडिया में, हमें उन पर यकीन करना ही पड़ता है। सोशल मीडिया हमारे लिए अलग ही धारणाएं बना देता है, इसलिए जरूरी है कि हम अपनी सोच का इस्तेमाल करें और उन्हें ही खबरों पर ध्यान दें जो पुख्ता तथ्य द्वारा साबित हो।
कभी कुछ टाइम के लिए "मोबाइल डेटा" या " वाई-फाई" ऑफ करके देखीये, शुकून मिलेगा।
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