Tuesday, October 31, 2017

MHT1:- हमारी 'वास्तविक' मूलभूत आवश्यकता

हमे पढ़ाया गया था कि हमारी मूलभूत आवश्यकताएं यानी Basic Needs रोटी कपड़ा और मकान है। किसने तय किया कि हमारी मूलभूत आवश्यकताएं सिर्फ यही है, जिनके बिना हम जीवित नही रह सकते।
अगर क्रमबद्ध तरीके से चले तो पता चलता है कि
मकान के बिना जिंदगी बिताई जा सकती है, किसी शरणार्थी की तरह या फुटपाथ या किसी पर आश्रित होकर।
कपड़े के बगैर यानी निम्नतम कपड़ो में भी बहुत से लोग गुजारा करते है, हर मौसम में हर हालात में।
और
रोटी के बिना 11 दिन तक जीवित रहा जा सकता है, यह मैं नही विज्ञान कहता है।
इन तीनो आवश्यकताओं की एक कीमत है, यानी ये मुफ्त में नही है।
लेकिन ये उधार ली जा सकती है, या कोई किसी को दान भी कर सकता है।
अब एक ऐसी चीज़ जो मुफ्त है लेकिन हम उसके बगैर     कुछ मिनट भी नही रह सकते। वो सूर्य के प्रकाश की तरह असीमित भी नही है।
जी हाँ,
मैं बात कर रहा हु शुद्ध हवा या ऑक्सिजन की।
नाजाने क्यों तय करने वाले ने इसे मूलभूत आवश्यकताओं में शामिल क्यों नही किया। जबकि इसके बगैर कुछ मिनट भी हम जीवित नही रह सकते।
शायद मुफ्त है, इसलिए,
बाकी चीज़ों की एक कीमत है ना। और हमे जो मुफ्त मिलता है उसका दोहन हम दिल खोलकर करते है, या यूं कहें बर्बाद करते है।
इस सूची में पानी को भी सम्मलित किया जाना चाहिए।

चलिए छोड़िये फालतू की बात।
खुशखबरी यह है कि एमआई नामक कंपनी ने इलेक्ट्रिक एयर प्योरिफायर बाजार में उतारा है, वो भी मात्र दस हज़ार में । जो आपके एक कमरे को पूरी तरह से शुद्ध रखेगा। चलेगा बिजली से मगर।
है ना कमाल की बात। हम मूर्ख इतना नही समझते दस हज़ार के पेड़ पौधे पूरे मोहल्ले गांव सेक्टर शहर को शुद्ध कर सकते है। लेकिन हम अपने कमरे की सोच रहे है।
संभल जाओ यार, अभी आर.ओ है पानी के लिए।
कल वो प्योरिफायर आएगा।
परसो कमर में ऑक्सिजन सिलेंडर टाँगना होगा।
सबसे पहले समझना होगा कि आज हमारी मूलभूत आवश्यकता वो नही जो किसी जमाने मे तय की गई थी, आज परिस्थिति कुछ और है, आवश्यकता कुछ और।
आगे आपकी मर्जी।


धन्यवाद।




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